अतएव यह विश्वास संपुष्ट हो रहा था कि स्वाभाविक भाषाएं कृत्रिम भाषाओं के समान गणितीय यथार्थता तथा आवश्यक परिशुद्धता के साथ बहुत से विचारों को सम्प्रेषित नहीं कर सकतीं।
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अतएव यह विश्वास संपुष्ट हो रहा था कि स्वाभाविक भाषाएं कृत्रिम भाषाओं के समान गणितीय यथार्थता तथा आवश्यक परिशुद्धता के साथ बहुत से विचारों को सम्प्रेषित नहीं कर सकतीं।